Egotistical Donkey || Moral Story In Hindi
एक बार एक गधा होता है और उसका मालिक उस गधे से जो भी अपने डेली के काम होते हैं वह से करवाता है काम की कमी के कारण जो बोझ ढोने वाला काम है जब उसको कम मिलने लग जाता है तो उसको एक आईडिया सूझता है तो क्या करता उस गधे के ऊपर एक छोटा सा मंदिर बनाता है और उसके अंदर भगवान की एक खूबसूरत मूर्ति रख देता है और उस गधे को लेकर मार्केट के अंदर सुबह-सुबह जाना शुरु करता है वह जिस दुकान के आगे भी उस गधे को रोकता है तो दुकान का मालिक उसके आगे सर झुकाता है और कुछ पैसे चढ़ाता है दूसरी दुकान पर जाता है वह भी उसके सामने सर झुकाता है कुछ फल फ्रूट के सामने रख देता है पूरे दिन इसी तरीके से कार्रवाई चलती है 1 दिन होता है 2 दिन होती है 3 दिन होती है 4 दिन होती है तो गधे को एक गलतफहमी होनी शुरूु हो जाती है और वो गलतफहमी क्या होती है की शायद इन सब लोगों ने मेरे सामने झुकना स्वीकार कर लिया है और शायद मैं इनके लिए भगवान बन गया हूं एक दिन उसके मालिक को किसी काम से कहीं जाना होता है और वो उस दिन गधे के ऊपर मंदिर लादना भूल जाता है क्या चलो मैं भी छुट्टी करता हूं और इस गधे की भी छुट्टी कराता हूं किसी कारण से गधा खुला रह जाता है लेकिन वह अपने डेली काम का उसको ध्यान होता है सुबह-सुबह अपने मालिक के बगैर उस मंदिर के बगैर वह गधा मार्केट के अंदर जाता है पहले दुकान पर खड़ा होता है थोड़ी देर खड़ा होता है दुकानदार उसको देखता है कोई हरकत नहीं करता है वह सोचता है कि रोज तो यह नमस्ते करता था पैसे चढ़ाता था लेकिन अब क्यों कोई हरकत नहीं कर रहा है वह वहां खड़ा होकर ढेंचू ढेंचू करता है दुकान का मालिक अंदर से नौकर को बुलाता है और कहता है डंडा मार के उसको भगा उसको डंडा मारा जाता है वह भागता है दूसरी दुकान पर जाता है वहां जाकर खड़ा हो जाता है वहां भी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है वहां भी ढेंचू ढेंचू करना शुरू करता है वहां से भी एक लड़का आता है उसको डंडा मार के उसको भगाता है
उस दिन मार्केट में हर दुकानदार उसको डंडा मार के भगा देते है वह कोने में जाकर खड़ा होता है शाम को सोचता है कि आज ऐसा क्यों हुआ दोस्तों मैं आप से पूछना चाहता हूं कि उस गधे के साथ ऐसा क्यों हुआ जब तक उस गधे के ऊपर वो मंदिर था वह भगवान के मूर्ति थी लोग उस गधे को प्रणाम नहीं करते थे उस मंदिर को उस भगवान की मूर्ति को प्रणाम करते थे लेकिन गधा को गलत फेमि हो गई थी कि शायद यह दुनिया मेरे सामने झुक रही है
सीख
इसी तरीके के कुछ लीडर होते हैं वह जब कंपनी में आते हैं तो बिलकुल जीरो होते हैं लेकिन कंपनी के प्लान के बदौलत कंपनी के मैनेजमेंट की बदौलत कंपनी के सहयोग की बदौलत वह बहुत बुलंदियों को छूते हैं उनके अंदर अहंकार आ जाता है शायद यह कंपनी हमारी वजह से चल रही है तो मैनेजमेंट को थ्रेट करना शुरू कर देते हैं डाउनलाइन को थ्रेट करना शुरू कर देते हैं क्रॉस लाइन को थ्रेट करना शुरू कर देते हैं और एक ही बात बोलते हैं यह कंपनी मेरी वजह से चल रही है दोस्तों कोई भी कंपनी किसी की वजह से नहीं चलती है आप अगर बुलंदियों पर जाते हो तो कंपनी मैनेजमेंट के कारण कंपनी के प्लान के कारण हां आपकी मेहनत होती है लेकिन एक बात हमेशा ध्यान रखें उस कंपनी से बाहर निकलकर आपका कोई वजूद नहीं है उस कंपनी से बाहर निकलकर आपकी कोई इनकम नहीं है मैंने ऐसे बहुत सारे लीडर्स को देखा है जो एक कंपनी में लाखों रुपए महीने की इनकम पर पहुंचे लेकिन इसी ईगो के कारण है कि कंपनी मेरी वजह से चल रही है उसको छोड़ कर जब वह दूसरी कंपनी में गए वहां पर जाकर फेल हो गए तो यह अहंकार अपने अंदर से निकाले हम कंपनी की वजह से हैं कंपनी हमारी वजह से नहीं है जिस दिन इस सोच के साथ हम काम करेंगे तो कंपनी भी बहुत बड़ी होगी हमारा ग्रुप भी बहुत बड़ा होगा और हमारी सक्सेस भी बहुत बड़ी होगी बहुत-बहुत धन्यवाद
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