Atut biswas (motivational stories in hindi)
hello friends kaha jata he ki agar sache maan se aur biswas ke sath agar koi kam kia jata he to use kamiyab hone se bhagbaan bhi nehi fok sakte aj ki kahani ek 8 saal ke bache ke upar adharit he kese wo apne atut biswas aur bhagbaan par bharosa kayam rakha is story me janenge bahot hi intresting story hone wala he doston aur bhi motivational stories in hindi padh ne ke lie humre blog ko subscribe kijiega to chalie kahani par chalte he
एक दिन की बात हे एक 8 साल का बचा हाथ में एक रुपये का सिक्का लेता हे और एक दुकान पर जा कर पुचा था हे, क्या आप की दुकान में भगवान् मिलेंगे?
यह सुन कर दुकानदार हसने लगा और बचे को निकल दिया. पर बचा फिर एक दुकान पर गया उस दुकान दार ने भी भगा दिया पर बचे ने हार नही मानी एक दुकान से दूसरी दुकान दूसरी से तीसरी में एसा करते करते बहोत सारी दुकानों में पूछता चलगया
यह बात पास में खड़ा एक आदमी देख रहा था उस आदमी ने उस बचे से पुचा की क्या हुआ तुम भगबान को क्यों खरीदना चाहते हो उन के साथ क्या करोगे?
पहलीबार किसी के मुह से यह सवाल सुनकर बचे के चहरे पर उम्मीद की किरण जगी उसे लगा की भाग्वान मिल जाएँगे बचा बहोत उत्सुकता से जबाब दिया मेरी माँ के अलावा इस दुनिया में कोई नही हे मेरी माँ अभी अस्पताल में हे बीमार हे
डॉक्टर ने कहा की अब केवल भगवन ही अप की माँ को बचा सकता हे बचा बोलने लगा साहब जी क्या आप को पता हे की मुझे भगबान कहाँ पर मिलेंगे.
यह बात सुनकर उस आदमी के मन में दया आई और बोले की तुम्हारे पास कितने पैसे हे तो बचे ने कहा मेरे पास एक रूपया हे तो वो बोले की कोई बात नही
फिर उस आदमी ने उस बचे को एक गिलास पानी दिया और कहा की तुम ये पानी ले जाओ और अपनी माँ को पिलादो माँ ठीक हो जाएगी बचे ने भी वोही किआ
अगले दिन कुछ डॉक्टर्स आए और उस की माँ की ट्रीटमेंट की और opearation कीए और डॉक्टर आ कर बोले की अब डरने वाली कोई बात नही तुम्हारी माँ अब ठीक हो जाएगी
कुछ दिन में और किसी सदजन ने तुम्हारा हॉस्पिटल का बिल भी भर दिया हे तुम निश्चिंत रहो और जब डिस्चार्ज होने का वक़्त आया तो दिस्चार्जे पेपर के साथ एक पत्र भी था उस बचे की माँ ने खुलेआम पत्र पढ़ना शुरू कर दिया, यह कहा -
"मुझे धन्यवाद देने की कोई आवश्यकता नहीं है। भगवान ने खुद को बचा लिया है ...
मैं सिर्फ एक रास्ता हूं। यदि आप धन्यवाद देना चाहते हैं, तो अपने मासूम बच्चे को दें, जो भगवान की खोज में सिर्फ एक रुपया लेता है, और खोज में निकल पड़ता हे क्यों के उनका दृढ़ विश्वास था कि केवल ईश्वर ही आपको बचा सकता है।
यही विश्वास कहा जाता है। ईश्वर को खोजने के लिए करोड़ों रुपये दान करने की आवश्यकता नहीं है, यदि मन में अटूट विश्वास हो तो वे एक रूपए में भी मिल सकते हैं।""
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