Top 5 Moral Stories In Hindi
These moral stories in hindi can help you understanding some common situations here we are sharing some of the best stories are entertaining and moral which we and our kids can learn.
hello friends sachin is here with some more you can learn how to deal with life so here we go.
char ghode ki kahani मन बुद्धि, चिंता और अहंकार
एक राजा के चार घोड़े थे जो बिल्कुल ही अन ट्रेन घोड़े थे बिलकुल जंगली इन घोड़ों को कोई भी ट्रेन नहीं कर पा रहा था एक दिन राजा ने एलान किया की जो भी इन घोड़ा को ट्रेन कर सकेगा उन्हें एक बहुत बड़ा इनाम मिलेगा लेकिन जैसे ही कोई भी घोड़े को ऊपर हाथ लगाता है तो घोड़ा उसे खींच कर बाहर फेंक देता बहुत लोगों ने कोशिश की और कई लोगों के हड्डियां भी टूट गए.
एक जवान आदमी आया और उसने कहा मैं इन घोड़ा को ट्रेन कर सकता हूं राजा ने उस आदमी से कहा कि बहुत लोगों ने कोशिश की है और उन्होंने अपनी हड्डियां भी तुडवा दी है लेकिन कोई भी अब तक सफल नहीं हुआ है उन्हें ट्रेन करने में उस आदमी ने फिर भी कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि मैं इन घोड़ों को ट्रेन कर सकता हूं उस आदमी ने कहा लेकिन मेरी एक शर्त है इन घोड़ों को मैं अपने पास ही रखूंगा जब तक वे पूरी तरह से ट्रेन नहीं हो जाते.
राजा ने उसकी बात मान ली हफ्ते निकल गए महीने निकल गए और 1 साल निकल गया लेकिन वह आदमी वापस नहीं आया राजा ने कहा इन घोड़ों को भूल जाओ क्योंकि वे अर कभी वापस नहीं आएंगे घोड़े अब तक ट्रेनर को छोड़कर भाग चुके होंगे लेकिन कुछ देर बाद उसमें घोड़ों की आवाज सुनी और उसने देखा कि उसके चार घोड़े शांति से एक ही लाइन में आगे बढ़ रहे थे उस आदमी के साथ राजा यह देखकर बहुत खुश हुआ कि घोड़े ट्रेन हो चुके हैं.
रजा उस आदमी से पूछा मुझे बताओ तुम्हें इने ट्रेन कैसे किया और तुमने इतना टाइम क्यों लगाया तो उस ट्रेनर ने कहा घोड़े सच में बहुत ही जंगली थे जब मैं घोड़ों को ले गया मैं ने उन्हें पूरी तरह से छोड़ दिया ताकि वह जो करना चाहे वो कर सके और उनके साथ में भी वही करने लगा जो वो कर रहे थे जब वो भागते तो मैं भी उनके साथ भागता था जब वह सोते थे तो मैं भी उनके साथ सोता था जब वो खाना खाते थे तो मैं भी उसी वक्त अपना खाना खाता था इसी तरह से घोड़े सोचने लगे कि मैं उनके साथ एक पांचवा घोड़ा हूं.
कुछ समय बाद मैं ने घोड़ों की पीठ पर शीट रखा लेकिन उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने सीट खींचकर निकाल दिया लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद धीरे-धीरे उन्हें सीट की आदत पड़ गई उसके बाद मैंने उन्हें बेल्ट बनाया वह भी उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने खींचकर निकाल दिया लेकिन कुछ दिनों के बाद होने बेल्ट की भी आदत हो गई उसी तरह से धीरे-धीरे मैं उनका दोस्त बन गया और मैं उन्हें ट्रेन कर पाया दूसरों ने गलती यह की कि वह पहले ही दिन से उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे बिना उनसे दोस्ती करें.
मोरल
ठीक उसी तरह हमारे अंदर भी चार अनट्रेंड घोड़े हैं और वह है मन बुद्धि, चिंता और अहंकार के प्रतिक हे और जब भी हमें इन में से किसी एक को कंट्रोल करना है हम उसी वक्त उन पर पूरी तरह से कंट्रोल करना चाहते हैं जिसका मतलब है कि हम एक ही मिनट में खुद के मास्टर बनना चाहते हैं बिना खुद में कोई काम किए हम इन 4 घोड़ों को बहुत जल्दी कंट्रोल करना चाहते हैं
और यही वजह है कि हम अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाते इन चार घोड़ा में से एक घोड़ा हमसे जब भी कहता है आओ बैठकर घुड़सवारी करते हैं और जैसे ही हम घोड़े पर बैठे हैं घोड़ा हमें गिरा कर फेंक देता है और फिर गिराने के बाद कोई दूसरा घोड़ा फिर से हमसे कहेगा आओ मेरी पीठ पर बैठो और फिर से हमें गिरा देगा यह सब का मतलब क्या है इसका मतलब यह है की हमें पहले अपने मन से दोस्ती करनी पड़ेगी और वह करने के बाद ही हमारा मन हमारी बात सुनना शुरू करेगा जब तक हमने अपने मन से दोस्ती नहीं की है हम हमेशा ही स्ट्रगल करते रहेंगे
अपने मन के साथ और यही कारण है कि बहुत लोग योगा प्राणायाम या स्पिरिचुअलिटी में जाकर भी सफल नहीं हुए अपने मन को कंट्रोल करने में क्योंकि उनका अधिकार उनके मन से दोस्ती पहले करने नहीं देता तो इसीलिए हमारे जो चार घोड़े हैं मानस, बुद्धि चिंता और अहंकार हमें उससे पहले दोस्ती करनी पड़ेगी
और उसके बाद ही हम अपने मन के साथ खुश रहना सकेंगे पॉजिटिव थिंकिंग हमें कहता है कि अपने मन से पॉजिटिव बात करो लेकिन हर किसी के लिए पॉजिटिव थिंकिंग काम नहीं करता है और कभी हम अपने आप को पॉजिटिव थिंकिंग से समझा सके और कभी ना समझा सके इसकी वजह यही है कि हमने अपने मन से दोस्ती नहीं की.
हमेसा सिखने की चाहत रखना
एक गांव में एक मूर्तिकार रहा करता था वह काफी खूबसूरत मूर्तियां बनाया करता था और इस काम से वह बहुत ही अच्छा कमा लेता था उसे एक बेटा हुआ उस बच्चे ने बचपन से ही मूर्तियां बनानी शुरू कर दी बेटा भी बहुत अच्छी मूर्तियां बनाया करता था और बाप अपने बेटा की कामयाबी पर खुश होता था
लेकिन हर बार बेटे की मूर्तियों में कोई ना कोई कमी निकाल दिया करता था वह कहते थे बहुत अच्छा किया है लेकिन अगली बार इस कमी को दूर करने की कोशिश करना बेटा भी कोई शिकायत नहीं करता था वह अपने बाप की सलाह पर अमल करते हुए अपनी मूर्तियों को और बेहतर करता रहा इस लगातार सुधार की वजह से बेटे की मूर्तियां बाप से भी अच्छी बनने लगी
एक ऐसा टाइम भी आ गया कि लोग बेटे की मूर्तियों को बहुत पैसा देकर खरीदने लगे जबकि बाप की मूर्तियां उसकी पहली वाली कीमत पर ही बिकती रहे बाप अब भी बेटे की मूर्तियों में कमियां निकाल ही देता था लेकिन बेटे को अब ये अच्छा नहीं लगता था और वह बिना मन की उन कमियों को एक्सेप्ट करता था लेकिन फिर भी अपनी मूर्तियों में सुधार कर ही देता था
एक टाइम ऐसा भी आया बेटे की सब्र ने जवाब दे दिया बाप जब कमियां निकाल रहा था तब बेटा बोला आप तो एसे कहते हैं कि आप मुझसे बहुत बड़े मूर्तिकार है अगर आपको इतनी ही समझ होती तो आप की मूर्तियां कम कीमत में नहीं बिकती मुझे नहीं लगता कि आपकी सलाह लेने की मुझे जरूरत है मेरी मूर्तियां पर्फेक्ट है बाप ने बेटे की यह बात सुनी तो उसने बेटे को सलाह देना और उसकी मूर्तियां मैं कमियां निकालना बंद कर दिया कुछ महीने तो वह लड़का खुश रहा
लेकिन फिर उसने नोटिस किया कि लोग अब उसकी मूर्तियों की उतनी तारीफ नहीं करते जितनी पहले क्या करते थे और उसकी मूर्तियों के दाम बढ़ना भी बंद हो गया शुरू में तो बेटे को कुछ समझ नहीं आया लेकिन फिर वह अपने बाप के पास गया और उसे समस्या के बारे में बताया बाप ने बेटे को बहुत शांति से सुना जैसे की उसे पहले से पता था कि 1 दिन ऐसा भी आएगा बेटे ने भी इस बात को नोटिस किया और उसने पूछा क्या आप जानते थे कि ऐसा होने वाला है
बाप ने कहा हां क्योंकि आज से कई साल पहले मैं भी इस हालात से टकराया था बेटे ने सवाल किया तो फिर आपने मुझे समझाया क्यों नहीं बाप ने जवाब दिया क्योंकि तुम समझना नहीं चाहते थे मैं जानता हूं कि तुम्हारे जितनी अच्छी मूर्तियां मैं नहीं बनाता यह भी हो सकता है कि मूर्तियों के बारे में मेरी सलाह गलत हो
पर ऐसा भी नहीं है कि मेरी सलाह की वजह से कभी तुम्हारी मूर्ति बेहतर बनी हो लेकिन जब मैं तुम्हारी मूर्तियों में कमियां दिखाता था तब तुम अपनी बनाई मूर्तियों से सेटिस्फाई नहीं होते थे तुम खुद को बेहतर करने की कोशिश करते थे और वही बेहतर होने की कोशिश तुम्हारी कामयाबी का कारण था
लेकिन जिस दिन तुम अपने काम से सेटिस्फाई हो गए और तुमने यह भी मान लिया कि अब इसमें और बेहतर होने की गुंजाइश ही नहीं है तुम्हारी ग्रोथ भी रुक गई लोग हमेशा तुमसे बेहतर की उम्मीद करते हैं और यही कारण है कि अब तुम्हारी मूर्तियों के लिए तारीफ नहीं होती ना ही उनके लिए तुम्हें ज्यादा पैसे मिलते हैं बेटा
थोड़ी देर चुप रहा फिर वह सवाल किया तो अब मुझे क्या करना चाहिए बाप ने एक लाइन में जवाब दिया अनसेटिस्फाई होना सीख लो मान लो कि तुम में हमेशा बेहतर होने की गुंजाइश बाकी है यही एक बात तुम्हें हमेशा आगे बेहतर होने के लिए इंस्पायरर करते रहेगी तुम्हें हमेशा बेहतर बनाते रहेगी
Eagle Ka Punarjanm ||
हमारी जिंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं जब हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है कई लोगों तो जीवन में संघर्ष करके आगे निकल जाते हैं और कई अपनी हालत से हार मान कर खुद को जिंदगी के हावाले कर देते हैं ऐसे में हमारी जिंदगी और हमारा खुद का कोई वजूद नहीं रहता है दुनिया उसी को सलाम करती है जो अपने कलम से खुद अपनी किस्मत लिखते हैं सिर्फ इंसान ही नहीं कुदरत में हर प्राणी के साथ ऐसा होता है तो आइए जानते हैं बाज के जीवन से जुड़े आश्चर्यजनक किंतु एक ऐसा सत्य है जो हम सबको प्रेरणा देगा
बाज का पुनर्जन्म
बाज लगभग 70 वर्ष जीता है परंतु अपने जीवन के 40 वर्ष में आते-आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है इस अवस्था में उसके शरीर के तीनों प्रमुख अंग बेअसर होने लगते हैं पहला पंजे लंबे और लचीले हो जाते हैं और शिकार पर पकड़ बनाने में कमजोर होने लगते हैं दूसरे चोंच आगे की ओर मुड़ जाता है और भोजन निगलने में मुश्किलें पैदा होने लगती है तीसरा पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं उड़ाने सीमित कर देते हैं भोजन ढूंढना भोजन पकड़ना और भोजन खाना तीनों प्रक्रियां अपनी धार खोने लगती है
उसके पास तीन ही रास्ते बचते हैं या तो शरीर छोड़ दे
या अपनी प्रबृति छोड़ दे गिद्ध की तरह के त्यागे हुए भोजन पर निर्भर हो जाए
या फिर स्वयं को फिर से स्थापित करें आकाश के साफ तौर से जाहिर बादशाह के रूप में जहां पहले तो रास्ते सरल और तुरंत समाधान देने वाले हैं
वही तीसरा अत्यंत पीड़ा दाई और लंबा बाज पीड़ा चुनता है और स्वयं को फिर से स्थापित करता है
वह किसी ऊंचे पहाड़ पर जाता है एकांत मैं अपना घोंसला बनाता है और तब शुरु करता है पूरी प्रक्रिया सबसे पहले वह अपनी चोंच को चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं पक्षी राज के लिए
अब वह इंतजार करता है चोंच के दोबारा उगाने की उसके बाद वह अपने पंजे भी उसी प्रकार तोड़ देता है और इंतजार करता है पंजों के फिर से उगाने का नई चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक-एक कर नोचके निकालता है और प्रतिक्षा करता है पंखों की पुनः उगाने का 150 दिन की पीड़ा और इंतजार और तब उसे मिलती है वही भव्य और ऊंची उड़ान पहले जैसी इस पुनर्स्थापना के बाद वह 30 साल और जीता है ऊर्जा सम्मान और गरिमा के साथ
जैसे बाज संघर्ष करता है 150 दिन तक भगवान उसकी संघर्ष बेकार नहीं जाने देते उसको नहीं जिंदगी देते कुदरत हमें सिखाने बैठी है पंजे पकड़ के प्रति चौथ सक्रियता की और पंख कल्पना को स्थापित करने की इच्छा हालोतो पर काबू रखने की सभ्यता स्वयं के अस्तित्व आज का गरिमा बनाए रखने की कल्पना जीवन में कुछ नया करने की सीख
हमारा पास भी कई विकल्प होते हैं कुछ सरल और तुरंत और कुछ पीड़ादायक हमें भी अपने जीवन का मजबूर भरे अति लचीलापन को त्याग कर काबू दिखाना होगा बाज की पंजों की तरह हमें भी आलस पैदा करने वाली फक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जा से भरी सक्रियता दिखाना है बाज की पंख की तरह हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व की भारी पंख को त्याग कर कल्पना की आजाद उड़ाने भरनी होगी बाज की पंखों की तरह
Leave Your Comfort Zone To Achieve Success ||
गुरु की सिख
कुछ सालों पहले की बात है एक गुरु और शिष्य कहीं से गुजर रहे थे चलते चलते वह एक खेत के पास पहुंचे दोनों को प्यास लगी थी तो वह खेत के बीचोबीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंच गए और वहां जाकर गुरु और शिष्य चौके हुए थे क्यों की उस घर के सामने बहुत ही बड़ा खेत था और उगजाऊ भी थी लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था कि उसका मालिक उस पर जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहा है.
दोनों ने दरवाजे को खटखटाया जैसे ही दरवाजा खुला अंदर से एक आदमी निकला उसके साथ उसकी पत्नी भी निकले और 3 बच्चे भी थे सभी फटे पुराने कपड़े पहने हुए थे गुरु जी बहुत विनम्र आवाज के बोले क्या हमें पानी मिल सकता है आदमी ने गुरु को पानी दिया
और पानी पीते पीते गुरुजी बोले मैं देख रहा हूं कि आपका खेत इतना बड़ा है पर इसमें कोई फसल नहीं बोई गई है आखिर आप लोग अपना गुजारा कैसे चलाते हैं आदमी बोला हमारे पास एक भैंस है वह काफी अच्छा दूध देती है दूध बेच कर कुछ पैसे मिल जाते हैं और बचे हुए दूध का हम सेवन करते हैं और हमारा गुजारा ऐसे ही चलता रहता है.
शाम होने आई थी और काफी देर भी हो गई थी गुरु और शिष्य ने सोचा कि आज की रात हम यहीं पर गुजारा करेंगे उन्होंने उस आदमी से अनुमति ली और वहीं पर रुक गए अधि रात हो चुकी थी गुरु ने अपने शिष्य को उठाया और एकदम धीमे से उसके कानों में बोला चलो हमें अभी यहां से निकलना है और चलने से पहले उसकी भैंस को लेजाकर कहीं जंगल में छोड़ देना है.
शिष्य को अपने गुरु की बात पर जरा सा भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि जिस गुरु से वह बहुत सारी चीजें सीखा हुआ था उसी गुरु ने किसी का बुरा करने के लिए बोला था फिर भी वह उसके गुरु थे इसलिए गुरु की बात हम मना नहीं कर सकता था आखिर में गुरु और शिष्य जंगल की ओर निकल पड़े भैंस को ऐसी जगह पर छोड़ दिया जहां से आना मुश्किल था ये घटना शिष्य की मन में बैठ गई थी और करीब 10 साल के बाद वो एक बड़ा गुरु बना तब उसने सोचा क्यों ना अपनी गलती को सुधार लिया जाए.
और उस गलती को सुधारने के लिए उस आदमी से मिला जाए और उसकी आर्थिक मदद की जाए जिससे उस व्यक्ति के आगे आने वाली जिंदगी खुशहाल जिंदगी बने और वह निकल पड़ा उस आदमी की मदद करने के लिए कुछ टाइम चलने के बाद वह शिष्य पहुंच गया जहां वह पहले पहुंचे थे मगर वह चौक गया वहां पर देखा बहुत बड़े-बड़े से फल के पेड़ लगे हुए हैं एक बड़ा सा घर बना हुआ है शिष्य को अंदेसा हुआ कि शायद भैंस के चले जाने के बाद वह परिवार सब कुछ बेच कर चला गया होगा इसलिए वह वापस लौटने लगा तभी उसने वो आदमी को देखा,
शिष्य बोला शायद आप मुझे नहीं पहचानते लेकिन मैं आपको सालों पहले मिला था उस आदमी ने मायूसी से बोला हा हा कैसे भूल सकता हूं उस दिन को आप लोग तो बिना बताए ही चले गए तो उसी दिन ना जाने क्या हुआ और जो मेरी भैंस थी वह कहीं चली गई और आज तक नहीं लौटी कुछ दिनों तक तो मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करना चाहिए और मैं क्या कर पाऊंगा और जीने के लिए मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही था
लकड़ियां काटकर बेचने का काम शुरू किया और उसे कुछ पैसे मैंने इकट्ठा किया और जो भी मेरे पास पैसे थे उससे मैंने अपने खेतों में फसल उगाई आखिर में मुझे अपनी मेहनत का फल मिला फसल बहुत ही अच्छी निकली बेचने पर जो पैसे मिले उस से में फलों के बगीचे लगवा दी यह काम बहुत ही अच्छा चल पड़ा और इस समय आसपास के हजार गांव में सबसे बड़ा फल का व्यापारी मैं हूं सचमुच यह सब कुछ ना होता अगर वह भैंस नहीं चली गई होती क्योंकि उसी के कारण मैं लाचार था और उसी के कारण में और कोई काम नहीं करना चाहता था उसके जाने से मैंने तुरंत नए रास्ते निकाले जिसमें पैसे कमा सकता था
और आज मैं एक बहुत ही बड़ा व्यापारी बन चुका हूं शिष्य बोले लेकिन यह काम तो आप पहले भी कर सकते थे आदमी बोला कर सकता था लेकिन तब मेरी जिंदगी बिना मेहनत के बी चल रही थी मुझे कभी लगा ही नहीं कि मेरे अंदर भी इतना कुछ करने की क्षमता है
कोशिश ही नहीं की मैंने लेकिन जब मेरी भैंस चली गई तब मुझे एहसास हुआ कि मैं तो दूसरा भी काम कर सकता हूं जिससे मैं अच्छा खासा पैसा कमा सकता हूं और मेरे बच्चे मेरी पत्नी को और अच्छी भी जिंदगी दे सकता हूं इसीलिए मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही था और मैंने तब ठान लिया था कि अब मैं जो भी करूंगा पूरी मेहनत के साथ करूंगा अपने दम पर करूंगा और आज इसीलिए मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं
मोरल
सोचिए कहीं आपकी जिंदगी में भी तो कहीं ऐसी ही भैंस नहीं जो आपको एक बेहतर जिंदगी जीने से रोक रही है उस भैंस ने आपको बांधकर तो नहीं रखा है अगर आपको लगे कि ऐसा है तो आगे बढ़िए हिम्मत करीए आपके पास खोने के लिए बहुत ही कम चीज है और सोचिए अगर आप सक्सेसफुल हो जाएंगे तो पाने के लिए पूरा जहान है आपके पास जाइए और उसे पाकर दिखाइए और अपनी जिंदगी को एक सक्सेसफुल जिंदगी बनाईए दोस्तों कहानियां आपको पसंद आए तो लाइक जरूर कर दीजिए और अपने दोस्तों से जरूर शेयर कीजिए
खुद बदलो दुनिया बदलेगी ||
खुद बदलो दुनिया बदलेगी
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में काफी दिनों से बारिश ना होने की वजह से पूरा गांव में सूखा पड़ गया हर तरफ हाहाकार मच गया पानी की कमी के कारण अब लोग मरने लगे थे गांव में केवल एक ही आचार्य थे जो पढ़े लिखे थे लोगों ने उनसे इस समस्या के समाधान के लिए कोई उपाय खोजने को कहा आचार्य ने सुखी को रोक दें और गांव में बारिश हो जाए इसके लिए बहुत सारे प्रयास किए लेकिन कोई भी प्रयास सफल नहीं हुई
गांव में सूखे की समस्या पहले की तरह ही बनी रही गांव के लोगों के सामने सभी रास्ते बंद हो चुके थे वे बहुत दुखी हो चुके थी और हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करने लगी तू ही अब हमें मरने और तबाह होने से बचा सकता है तभी वहां भगवान द्वारा भेजा गया एक उनका दूत प्रकट हुआ और उसने गांव के लोगों से कहा अगर आज रात गांव के हर व्यक्ति उस कुएं में एक लोटा दूध बिना कुएं की अंदर देखे हुए डाल देगा तो कल से ही आपकी गांव में सूखे की समस्या खत्म हो जाएगी और बारिश हो जाएगी यह कह कर वह दूत वहां से गायब हो गया
गांव के लोग यह समाधान जानकर बहुत खुश हुए और उन्होंने सभी गांव वासियों से कुएं के अंदर बिना झांकी एक लोटा दूध डालने का निवेदन किया सभी लोग दूध डालने को लिए तैयार हो गए रात को जब गांव के सभी लोग कुएं में दूध डालने लगे तब गांव का एक कंजूस व्यक्ति ने सोचा कि गांव सभी लोग उस कुएं में तो दूध डालेंगे अगर वह अकेला कुएं में एक लोटा पानी डाल दिया तो किसी को पता नहीं चलेगा यह सोचकर उस व्यक्ति ने कुएं में एक लोटा दूध की जगह एक लोटा पानी डाल दिया
अगली सुबह तक लोगों ने बारिश का इंतजार किया लेकिन अभी भी गांव में सूखा पड़ा हुआ था और बारिश का कोई नामोनिशान तक नहीं दिख रहा था सब कुछ पहले जैसा ही था लोग सोचने लगे कि आखिर बारिश क्यों नहीं हुई इस बात का पता लगाने के लिए वे गांव की बाहर उस कुएं में देखने गए जब जब उन्होंने कुएं में झांक कर देखा तो सभी के सभी हैरान रह गए पूरा कुआं केवल पानी से भरा हुआ था
उसमें एक बूंद भी दूध नहीं था सभी ने एक दूसरे की तरफ देखा और तभी सब समझ गए सूखे की समस्या अभी तक समाधान क्यों नहीं हुई दोस्तों ऐसा इसलिए हुआ था जो बात उस कंजूस आदमी के दिमाग में आई थी कि सभी लोग तो दूध डालेंगे अगर वह एक लोटा पानी डाल देगा तो पता नहीं चलेगा वही बात पूरे गांव वालों के दिमाग में आई थी और हर एक दूध की जगह एक लोटा पानी कुएं में डाल दिया था
मोरल
जो कुछ इस कहानी में हुआ वह आजकल हमारा जीवन में होना एक सामान्य बातें हैं हम सब कहते हैं हम एक बदलने से क्या संसार बदल जाएगा मगर याद रखिए बूंद बूंद से ही सागर बनता है अपने काम की ज़िम्मेदारी दूसरे पर डाले बिना अपने काम को पूरी ईमानदारी और मेहनत से करें तो हम अकेले ही इस समाज में बदलाव लाने के लिए काफी है आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
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